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मानवता के तिन अनमोल विचार

मानवता के तीन अनमोल हीरे
 भगवान श्री कृष्ण
 भगवान महावीर स्वामी
 भगवान गौतम बुद्ध 

 भगवान श्री कृष्ण जिनका जन्म एक कारागृह में होता है और जन्म के साथ ही उन पर मौत मंडरा आ रही है जिसका कारण एक आकाशवाणी है जिसमें श्री कृष्ण द्वारा मथुरा नरेश कंस की मृत्यु घोषित की है पर श्री कृष्ण पर हमारी तरह प्रकृति के नियम लागू नहीं है जो प्रकृति स्वयं कभी अपना नियम नहीं तोड़ती है उसके नियम श्री कृष्ण  तोड़ने का सामर्थ रखते हैं क्योंकि प्रकृति उनके अधीन है वह प्रकृति के स्वामी है प्रकृति के नियंता है अगर इस हिसाब से देखा जाए तो श्रीकृष्ण के लिए कुछ भी असंभव नहीं है उनके कहने मात्र से सब कुछ हो जाता है पर उनके जन्म लेने का कारण यह ही नहीं है उसका असल कारण हम सभी मनुष्य हैं वह हम सब के लिए आदर्श प्रस्तुत करना चाहते हैं हमारे जीवन के लक्ष्य से हमें परिचित कराना चाहते हैं हमें जीना सिखाना चाहते हैं मनुष्य को इन सभी शिक्षकों की बहुत ही आवश्यकता है इसीलिए ईश्वर स्वयं आए हैं भगवान श्री कृष्ण के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सभी सभी मनुष्य को संसार के भव बंधन से मुक्त कराने के लिए परम तत्व का ऐसा ज्ञान विज्ञान कहां जो पूरे विश्व में अद्वितीय है आत्मा भगवान सृष्टि अस्तित्व इतने रहस्यमई प्रश्न है कि जिनके उत्तर तलाश करने की हर किसी में प्रतिभा नहीं होती और संसार का रूप रंग रस इतना सुखद प्रतीत होता है कि मनुष्य इसी को सत्य मानकर इसी में डूबा रहता है इन सभी प्रश्नों रहस्य और जटिलताओं के बीच इन सभी विषयों के बड़े ही प्रमाणिक और वैज्ञानिक उत्तर देते हैं कृष्ण इस  विषय पर कहते हैं की ईश्वर सर्वज्ञ है उसकी सब और आंखे है  सब और उसके कान है सब और उसके मुख् सब और उसके हाथ और पैर है वही एक ऐसा सत्य है जो सब कुछ जानने वाला है आत्मा पर कृष्ण कहते हैं यह आत्मा निरोगी नित्य निर्गुण तत्व है जिसे ना तो पानी में भिगोए जा सकता है ना अग्नि में जलाया जा सकता है ना हवा से सुखाया जा सकता है ना तलवार से काटा जा सकता है सृष्टि के विषय पर श्री कृष्ण कहते हैं यह सृष्टि आधारहीन नहीं है ईश्वर इसका कारण है नियंता है जिसके प्रयोजन का कारण सत्यता केवल ईश्वर ही जानते हैं अस्तित्व के विषय पर श्री कृष्ण कहते हैं अस्तित्व का सत्य अनंत है अस्तित्व अपना स्वयं ही कारण है जो परिवर्तनीय होकर भी सदा है हम सभी जीव मनुष्य भी उसी अस्तित्व के स्वरूप है जो जो शरीर धारण किए पर भ्रमण कर रहे हैं

 भगवान महावीर स्वामी
एक राज कुल में जन्म लेते हैं पर राजभोग से जरा भी मोह  नहीं है तपस्वी बनना चाहते हैं पर इनकी माता आज्ञा नहीं देती पर मां  के देहांत के बाद सन्यास धारण कर लेते हैं और 12 वर्षों तक कठोर तप करते हैं जिससे इन्हें केवली ज्ञान प्राप्त होता है अपने अस्तित्व का सत्य जानकर इन्होंने मनुष्य को उपदेश दिए जिनमें प्रमुख इस प्रकार है आत्मवान बनो, अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है, परमात्मा नहीं है आत्मा ही परमात्मा है, भगवान महावीर जी कहते हैं जगत ही जगत का कारण है धैर्य संयम और तप के द्वारा इस सत्य को जाना जा सकता है पुनर्जन्म होता है जो मनुष्य को अपने कर्मों के कारण निरंतर मिलता रहता है इस भटकाव से मुक्ति के लिए बहुत ही सूक्ष्मता से सभी मनुष्यों को मार्ग दिखाया, भगवान महावीर कहते हैं जो होने वाला है वह अभी भी हो रहा है और हो ही जाएगा, जब इतना बड़ा विराट अस्तित्व अपना कारण लिए शांत है तो मैं अपने छोटे से अस्तित्व की चिंता क्यों करूं

 भगवान गौतम बुद्ध
 राजा के पुत्र भगवान बुद्ध के जन्म के साथ एक भविष्यवाणी जुड़ी की यह बालक बड़ा होकर केवल सन्यासी ही बनेगा गौतम बुद्ध के 29 वर्ष बहुत ही वैभवशाली सांसारिक वस्तुओं के साथ गुजरे पर जब मनुष्य की मृत्यु का बोध हुआ तो सारे सांसारिक वैभव को त्याग कर सन्यास धारण कर लिया 5 वर्षों की तपस्या के बाद परम सत्य का ज्ञान हुआ भगवान गौतम बुद्ध कहते हैं इस संसार का कारण ईश्वर नहीं है अगर संसार को ईश्वर ने बनाया होता तो संसार में इतना दुख नहीं होता, यह सृष्टि कार्य कारण के कारण स्वयं ही संचालित हो रही है, हर मनुष्य को अपने अस्तित्व की खोज स्वयं ही करनी चाहिए, जब तक जीवो में इच्छाएं जीवित रहेगी तब तक वह यहां पर जन्म लेते रहेंगे, सब कुछ के त्याग से ही सब कुछ प्राप्त होता है, क्रोध अहंकार ईर्ष्या के त्याग से सत्य का अनुभव होता है अपने दीपक स्वयं बनो, संसार में दुख है दुख के कारण है उन कारणों को जाना जा सकता है और उनका निवारण भी किया जा सकता है जीवन में संतुलन स्थापित करने के लिए मध्यम मार्ग बताया जिसमें ना बहुत ज्यादा ना बहुत कम बस जरूरत के अनुसार

 शुभ रात्रि

#chetanshrikrishna

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8 Comments

Suryansh

08-Sep-2022 11:18 PM

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना

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लाजवाब बहुत ही प्रेरक लेख

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नंदिता राय

14-Jun-2022 06:42 PM

👏👌🙏🏻

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